Voice of Bahujans Constitution (Constitution) You Tube Channel is working to make every citizen of the country aware about the constitutional rights of equality, unity and brotherhood. There is no connection with any particular person's religion or caste, Content and Thumbnail also have nothing to do with any particular person's religion or caste, Content & Thumbnail are made attractive for Audience Attraction. Every citizen of the country, from the common citizen to the one associated with the administration, is respectable. Any news/movie/film and serial shown on the channel is not intended to hurt any particular person of any religion or caste. Our effort is to strengthen unity, brotherhood and equality in the country.
बहुजनों की आवाज संविधान (Constitution) You Tube Channel समानता एकता भाईचारा संवैधानिक अधिकारों के लिए देश के हर नागरिक को जागरूक करने के लिए कार्यरत है, किसी भी विशेष व्यक्ति धर्म जाती से सम्बन्ध नहीं है, Content और Thumbnail का भी किसी व्यक्ति विशेष धर्म जाती से कोई मतलब नहीं है, Audience Attraction के लिए Content & Thumbnail को Attractive बनाया जाता है, देश के आम नागरिक से लेकर शासन प्रसासन से जुड़ा हर नागरिक सम्मानीय है, चैनल पर दिखाई जा रही कोई भी खबर/मूवी/फिल्म और धारावाहिक का मक़सद किसी भी धर्म जाती व्यक्ति विशेष को आहत करना नहीं है, हमारा प्रयास देश में एकता भाईचारा समानता को मजबूत करना है |
मैं गौतम रत्ना 1999 मैं बुद्धिज़्म की दीक्षा ली भंते सतपाल भिक्खु HOD Buddhist Study & Research Department Delhi University Foreign Return भंते जी से 2000 व्यक्ति रहे होंगे इस दिन जिसमैं 1500 हिन्दू मानसिकता के थे उनको अहसास कराना था कि वो सोचे कि मैं हिन्दू धर्म को क्यों छोड़ रहा हूँ! अब बौद्ध बनने की पीछे राजनीतिक और पब्लिसिटी लेना मकसद ज्यादा बना लिया गया। कुछ भिक्खुओ और बहुजनो ने जो नही होना चाहिए (बाद में भिक्खु जी गया चले गए जिनका परिनिर्वाण हो चुका है) 3.5 ( साढ़े तीन साल ) के उम्र मे मेरी मां का देहांत हो गया। घर में जमीन जायदाद कुछ भी नही था जिससे जीविकोपार्जन चलाया जा सके। गरीबी का आलम था। आमदनी का कोइ भी श्रोत नहीं था। 7 साल के उम्र से घर के काम, खाना बनाना, घर को गोवर पीली मिट्टी मिलाकर लीपना, ठाकुरो के यहाँ मजदूरी करना खेत काटना उनके घर में गुलामी करने जैसा था। जब पहले दिन स्कूल गया तो ठाकुर मास्टर ने मुर्गा बनाकर पीछे से लात मारा और बोला साले चुहड़े चमार डेढ़ हो तुम्हे नही पढ़ाऊंगा। 1984 मैं दिल्ली आया रात को कॉलोनी में चोकीदार की नौकरी करता था फ़िल्म लाइन में शुरुआत की 1989 में बर्तन मांजने धोने चाय पिलाना खाना खिलाना सब लोगो को जो शूटिंग में टीम होती है साथ साथ इंजीनियरिंग कर रहा था। फिर 1997 मैं फ़िल्म प्रोडक्शन हाउस चालू किया गौतम फ़िल्म प्रोडक्शन हाउस के नाम से बहुत कमाया 5 लाख महीने का इनकम था 6 साल पहले फुल टाइम बहुजनो SC ST OBC Minorities के ऊपर अत्याचार होने पर न्याय दिलाना शुरू किया इसी वजह से मनुवादियो ब्रह्मणवादियो ने नेशनल न्यूज़ चैनल और फ़िल्म प्रोडक्शन हाउस वालो ने काम देना बंद कर दिया। अब सड़क पर आ चुका हूँ *3 मैनेजर 50 आदमी का स्टाफ सभी बहुजन थे। 3 करोड़ की कंपनी बन गयी वो सब खत्म हो गया लेकिन अब जो सुकून है वो तब नही था सब कुछ खत्म होने के बाद अब सिर्फ स्टूडियो फ़िल्म कैमरा एडिटिंग कुछ शूटिंग् लाइट्स बचा है। UP Police Jail भेजना चाहती थी मेरे 1 हफ्ता स्टूडियो ओर न्याय दिलाने का काम बंद करना पड़ा दिल्ली से बाहर रहा। मामला जिसमे मेरे गांव को 9 लोगो को जेल भेजा गया 2 पर राष्ट्रद्रोह लगाया गया जिसमें ठाकुरो ने अपने राश्ते से वंचित समाज की बारात चढ़ने से रोकने के लिए बहुजन समाज के लोगो पर राइफल ओर अवैध हत्यारों से मारने के लिए गोली चलाई ओर योगी सरकार ने उन पर कोई करवाई ना करके पीड़ित लोगों को ही जेल भेज दिया काफी संघर्ष किया जिसमें कुछ राहत मिली अभी भी 3 युवा जेल में है जिनका कोई दोष नही है इस मामले में किसी संघटन, नेता, राजनैतिक पार्टी ने साथ नही दिया। ऐसे ही कितने मामले में न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करता हूँ पूरे देश में जब ये मामला थोड़ा शांत हुआ वापस दिल्ली आया और फिर लग गया अपने बहुजनो की लड़ाई लड़ने लेकिन समाज का साथ नही मिला। ये समाज बहुजन नेताओ को तन मन धन से इसलिए सपोर्ट करता है क्यों कि उसको विधायक सांसद मंत्री बनने का लालच है। 1984 में ही शाहब कांशीराम जी के सानिध्य मे BSP को ज्वाइन किया। मान्यवर साहब जब दिल्ली से लोकसभा का चुनाव लड़े तो प्रचार करते समय चाकुओं का हमला भी झेला। कांशीराम साहब के बीमार हो जाने औऱ परिनिर्वाण के बाद अधिकतर बहुजन नेता बाबासाहेब ओर कांशीराम साहब की के मिशन को मनुवादियो को बेचने का काम कर रहे है ये कड़वी सच्चाई है। सैकड़ो जातिवादी ओर मनुवादी आतंकियो को जेल भिजवा चुका हूँ वो भी अपने अकेले दम पर किसी पीड़ित से इस काम का कोई पैसा नही लेता समाज साथ दे या ना दे में बहुजनो पर अत्याचार के खिलाफ लड़ाई को लड़ता रहूँगा चाहे इसका रिजल्ट कुछ भी हो अभी तक रिजल्ट सफल रहा है। साहब कांशीराम जी के बाद मैंने अपने और परिवार के लिए नहीं बल्कि बहुजन आंदोलन के लिए और बाबासाहेब अंबेडकर की विचारधारा और बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए काम किया। 1999 में धम्म दीक्षा प्राप्त की। सामाजिक सुधार के लिए मेरे काम के घंटे प्रतिदिन 18 घंटे और 365 दिन चमार/जाटव/वाल्मीकि जाति पर गर्व करने वाले/परशुराम की दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति लगाने वाले/बहुजन को सर्वजन में बदलने वाले/जय श्री राम जय परशुराम/हाथी नहीं गणेश है ब्रह्मा विष्णु महेश हैं के नारे लगाने वाले कभी बाबासाहेब अम्बेडकर और साहेब कांशीराम के अनुयायी नहीं हो सकते मैंने बाबासाहेब को तो नहीं देखा पर उनकी लिखी किताबों को पढ़ा है साहेब कांशीराम को करीब से देखा और समझा हैं और दिल्ली से चुनाव लड़े साहब कांशीराम तो चाकूओ के हमले को भी झेला हैं। कल्याणपुरी जलेबी चौक दिल्ली में जिसमे न्याय दिलाने साहब कांशीराम जी खुद आये थे। आज का नेता किसी आम कार्यकर्ता के लिए आ सकता हैं क्या इस लिये मैं सिर्फ सामाजिक क्रांति और न्याय की बात करता हूँ और उसी पर काम करता हूं। मेरे यही विचार कुछ वहुजन नेताओं के अंधभक्तों दलालों को पसंद नहीं आते जो एक कड़वा सच है। वही मुझे मनुवादी पार्टियों का दलाल भी कहते हैं। सचाई ये है इन अंधभक्तों के नेता और ये खुद किसी मनुवादी जातिवादी आतंकी के खिलाफ कोई कार्रवाई तक नहीं करा पाते और उल्टा फैसला करवा कर दलाली खा लेते हैं। बड़ी चालाकी से जो बहुजन पीड़ित परिवार को पता भी नहीं लग पाता और मैं बहुजन समाज और महिलाओ पर अत्याचार होने पर संवैधानिक दायरे में न्याय दिलाने की कोशिस करता हूं। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारीयों से बात करके। ना मैं बिकता हुँ ना मुझे कोई खरीद सकता है ना मैं थकता हूँ ना मैं रुकता हूँ ना मैं झुकता हूँ ना मैं डरता हूँ ना मैं समझौता करता हूँ 18 घंटे काम करता हूँ जब तक मेरे समाज वंचितों / बहुजनो और महिलाओं पर अत्याचार होने पर न्याय नहीं दिला देता तब तक मैं बाबासाहेब डॉ अम्बेडकर के विचारो और संविधान पर चलता हूँ जय भीम जय संविधान नमो बुद्धाय।